जो किसी के संगे नहीं हो सके वो दूसरों की वफादारी पर उंगली उठा रहे हैं…
अम्बिकापुर/ हाल के दिनों में अम्बिकापुर या कहें सरगुजा जिले के एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता शफी अहमद जिन्हें प्यार से आम लोग शफी भैय्या भी कहते हैं. जिन्हें एक नेता कहने बजाएं एक समाजसेवी कहा जाएं तो ज्यादा सही होगा. उनके विरुद्ध एक षडयंत्र पूर्वक सोशल मीडिया में कुछ लोगों के द्वारा एक के बाद एक अनर्गल आरोप लगाये जा रहा है. जानकारों की माने तो सोशल मीडिया में शफी अहमद को लेकर ऐसे शब्दों का प्रयोग किया गया है जिससे समझा जा सकता है कि यह एक सोची समझी साजिश के तहत स्वच्छ, बेदाग छवि वाले व्यक्ति को महज बदनाम करने के अलावा और कुछ नहीं है. जानकारों का यह भी दावा है कि पहले उनपर दूसरे राजनीतिक दलों के नेताओं से सांठ-गांठ का आरोप लगाया गया लेकिन इस मामले में भी उन्हें कोई रिस्पांस नहीं मिला तो अब वे उनके व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में लांछन लगाने का घिनौना हरकत करने में उतर गये है.अफसोस की बात यह है कि उनके द्वारा लगाए गए हर आरोप हवा में है जिसका वास्तविकता से दूर दूर तक कोई नाता नहीं है..
आरोप नम्बर 01… एक जमीन संबंधी मामले में उन्होंने समझौता कराया…..
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता शफी अहमद के करीबियों का इस संबंध में कहना है कि इसका जवाब सरल शब्दों में ये है कि किसी भी मामले में जब दो पक्ष एक राय नहीं हो रहे हो तो उन्हें समझा-बुझाकर एक राय में लाते हुए उनके विवाद को खत्म करना क्या ग़लत है. किसी भी साधारण मनुष्य से अगर इस प्रश्न का जवाब चाहेंगे तो वह बोलेगा विवाद खत्म करना अच्छी बात है और हुआ भी हाल के दिनों में जिस मामले का चर्चा चल रहा था उसी दौरान एक पक्ष शफी अहमद के पास पहुंचा और इस पुरे मामले को खत्म कराने की बात कही गई थी जिसके बाद ही उन्होंने ने दोनों पक्षों के बीच बातचीत कराकर मामला शांत कराया.लेकिन शहर के कुछ कथा कथित विद्वानों को इस बात से बेहद तकलीफ पहुंचा है जिसमें भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टी के ऐसे नेता हैं उनका नाम लेना ठीक नहीं है.बस इसी बात का बतंगड़ बनाते हुए शफी अहमद के बारे में उलूल जुलूल बातें कही जा रही है जो अच्छी बात नहीं है.इसके साथ ही इनके विरोधियों का यह भी कहना है कि इसके भाजपा नेताओं के साथ बेहतर ताल्लुकात है तो क्या भाजपा और कांग्रेस पार्टी के लोग इंसान नहीं होते हैं या फिर इनके हिसाब से भाजपा और कांग्रेस पार्टी के लोग 24 घंटे लड़ते रहे. अरे..भाई आप भी ताल्लुकात बनाइए ना आप को किसने रोका है.
आरोप नम्बर दूसरा …… शहर की सड़कें खराब है….
अम्बिकापुर नगर निगम क्षेत्र की लगभग सभी सड़कें वर्तमान में बेहद खराब है सच्चाई तो यही है.जाहिर है विपक्षी दलों का काम ही होता है कि वे जनता की समस्याओं को उठाएं और सरकार से सवाल करें. ऐसे में सोशल मीडिया में इन दिनों हर कोई अपने अपने तरीके से इसे लेकर अपना विरोध दर्ज कराया जा रहा है.अच्छी बात है इससे पता चलता है कि हमारे प्रदेश में लोकतंत्र का बोलबाला है हर कोई सरकार से सवाल कर सकता है. लेकिन सोशल मीडिया में कुछ लोगों के द्वारा सड़क के नाम पर चंद बातें कहते हुए शफी अहमद के सामाजिक और राजनीतिक जीवन में हस्तक्षेप करने का प्रयास किया जा रहा है जो ठीक नहीं है. कौन किसके कितने करीब है यह उसके कार्यों के आधार पर सामने वाला तय करता है. आप तो आज तक किसी के संगे नहीं हो सके और दूसरों की वफादारी पर उंगली उठा रहे हैं. वहां जी आप तो…. अपने आप को बड़े ज्ञानी बाबा सिद्ध करने तुले हुए हैं जो ठीक नहीं है….
आरोप नम्बर तीन नवागढ़ में अतिक्रमण की कार्यवाही के दौरान शफी अहमद नहीं थे….
वाह जी पहले आप बताइए आप मौके पर एक बार भी गए थे….? कड़कड़ाती सर्दी में जब गरीबों का आशियाना जिला प्रशासन और वन विभाग ने छीना था तब आप किसी को भी तसल्ली देने वह पहुंचे थे……? लेकिन आप को बता दूं जिस स्थान में सुबह जिला प्रशासन और वन विभाग ने कार्यवाही शुरू की उस स्थान पर रहने वाले लोगों के साथ रातभर जागते हुए शफी अहमद वहां मौजूद थे और सुबह जब कार्रवाई शुरू हुई तो उन्होंने इसका जबरदस्त विरोध किया जिसका विडियो भी है. मतलब कितना झूठ बोलते हुए किसी को बदनाम किया जा सकता है. बहरहाल शफी अहमद के द्वारा अपने समाज के लिए क्या कुछ किया गया है इसे आप समझ सकते हैं कि वे एक बार निर्विरोध पार्षद निर्वाचित होते हुए आज तक जीतते हुए आ रहें हैं जो एक रिकार्ड है. अंत में…..
“ज़बान चलने लगी लब-कुशाई करने लगे नसीब बिगड़ा तो, गूंगे बुराई करने लगे।। हमारे क़द के बराबर न आ सके जो लोग। हमारे पाँव के नीचे खुदाई करने लगे ।।